उत्तर प्रदेश के बस्ती के लिए चली थी उर्वरक से लदी मालगाड़ी, केवल 42 घंटे का सफर पूरा करने के दौरान हुई ये घटना
Vichitra News : आपने हिंदी फिल्म ‘द बर्निंग ट्रेन’ तो जरूर देखी होगी, लेकिन क्या आप रास्ते से ही गायब हो जाने वाली ट्रेन (The Lost Train) के बारे में जानते हैं? यह किसी फिल्म या वेब सीरीज की कहानी नहीं, बल्कि एक सच्ची घटना है। इस घटना के कारण भारतीय रेलवे के नाम एक अनचाहा रिकॉर्ड भी दर्ज हो चुका है।
लगभग 10 साल पुराने इस मामले में एक मालगाड़ी विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती के लिए चलती है, लेकिन रास्ते से ही गायब हो जाती है। फिर वह ट्रेन किस दिशा में जाती है, कहां ठहरती है, या कहां छिपी रहती है, इसका कुछ पता नहीं चलता। फिर अचानक ही लगभग पौने चार साल बाद यह अपने गंतव्य यानी उत्तर प्रदेश के बस्ती पहुंच जाती है।
The Lost Train Story
सबसे अधिक लेट-लतीफ साबित हुई यह ट्रेन
विशाखापत्तनम से बस्ती के बीच की दूरी तय करने में ट्रेन को आमतौर पर 42 घंटे का समय लगता है। लेकिन इस ट्रेन ने लेट से चलने के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले और भारतीय रेलवे के नाम एक अनचाहा रिकॉर्ड दर्ज हो गया। इस ट्रेन को अपने गंतव्य तक पहुंचने में लगभग पौने चार साल का समय लग गया।
यह ट्रेन दरअसल एक मालगाड़ी थी, जो 10 नवंबर, 2014 को विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती के लिए चली थी। लेकिन यह ट्रेन रास्ते से ही गायब हो गई और लगभग पौने चार साल बाद यानी 25 जुलाई, 2018 को उत्तर प्रदेश के बस्ती स्टेशन पर पहुंची।
The Lost Train Record
रेलवे अधिकारी और कर्मचारी भी रह गए हैरान
दिलचस्प बात यह रही कि इस मालगाड़ी को अपनी यात्रा पूरी करने में कुल 3 साल, 8 महीने और 7 दिन का समय लगा था। इसलिए इसने भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे अधिक लेट-लतीफ ट्रेन होने का एक विचित्र रिकॉर्ड भी बना डाला।
इस मालगाड़ी के इस तरह अभूतपूर्व देरी से अपने गंतव्य तक पहुंचने की घटना पर रेलवे अधिकारी और कर्मचारी भी हैरान रह गए थे। इस ट्रेन ने लेट होने के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर डाले थे। इस मालगाड़ी में लगभग 14 लाख रुपए का माल लदा हुआ था।
The Lost Train To Basti
डीएपी उर्वरक लेकर आ रही थी यह मालगाड़ी
यह मालगाड़ी 1,316 बोरे डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक ले जा रही थी। इस गाड़ी के खाद लाने वाले वैगनों को 2014 में विशाखापत्तनम से इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) के माध्यम से रामचंद्र गुप्ता के नाम बुक किया गया था। रामचंद्र गुप्ता बस्ती के एक व्यापारी हैं। मालगाड़ी 14 लाख रुपए से अधिक का माल लेकर विशाखापत्तनम से निर्धारित समय के अनुसार रवाना हुई थी।
मालगाड़ी की यात्रा पूरी करने के लिए सामान्य यात्रा समय 42 घंटे था। हालांकि, उम्मीदों के विपरीत ट्रेन समय पर नहीं पहुंची। जब ट्रेन नवंबर 2014 में बस्ती नहीं पहुंची, तो रामचंद्र गुप्ता ने रेल अधिकारियों से संपर्क किया और कई लिखित शिकायतें दर्ज कीं। उनके बार-बार नोटिस देने के बावजूद अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाद में पता चला कि ट्रेन रास्ते में ही ‘गायब’ हो गई थी।
The Lost Train In India
पता नहीं चला देरी का कारण
इस अवधि के दौरान ट्रेन कहां, कैसे और क्यों लेट हुई या गायब हो गई, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। इस अभूतपूर्व देरी के परिणामस्वरूप 14 लाख रुपए के उर्वरक बेकार हो गए। इस घटना को भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे अधिक लेट ट्रेन यात्रा के रूप में दर्ज किया गया है।
हालांकि उत्तर पूर्व रेलवे जोन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार कभी-कभी, जब कोई वैगन या बोगी फेरी के लिए अयोग्य हो जाता है, तो उसे यार्ड में भेज दिया जाता है। ऐसा लगता है कि इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है।
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-विशेष खबर ब्यूरो
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