नाग पंचमी विशेष: आखिर वर्ष में एक ही बार क्यों खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर!
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दी रोचक जानकारी
नागचंद्रेश्वर मंदिर में मौजूद दुर्लभ प्रतिमा
उज्जैन: इस वर्ष 21 अगस्त को यानी आज नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। पूरे देश में नाग पंचमी की धूम है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी त्योहार की विशेष मान्यता है। इस दिन भगवान शिव जी के साथ सर्पों की पूजा का विधान है। इस अवसर पर, आइए जानते हैं नाग देवता के उस मंदिर के बारे में, जो वर्ष भर में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है।
पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दी रोचक जानकारी
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि नाग पंचमी के त्योहार के दिन भगवान शिव जी के साथ सर्पों की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में नाग पूजनीय माने गए हैं। जहां नाग भगवान शिव के गले में विराजते हैं, वहीं शेषनाग पर भगवान विष्णु शयन करते हैं।
नाग पंचमी के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में भी रोचक जानकारी दी, जो पूरे वर्ष भर में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। उन्होंने बताया कि यहां नाग देवता की दुर्लभ प्रतिमा मौजूद है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में से एक है महाकालेश्वर मंदिर। उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में की तीसरी मंजिल पर मौजूद है नागचंद्रेश्वर मंदिर। यह मंदिर भक्तों के लिए वर्ष में केवल नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए ही खुलता है।
उन्होंने बताया कि नागचंद्रेश्वर मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां फन फैलाए नाग की एक अद्भुत प्रतिमा है, जिस पर शिवजी और मां पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ बैठे हैं। मान्यता है कि यहां नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि ग्रंथों के अनुसार नाग देवता की यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। दावा है कि उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। वैसे तो नाग शैय्या पर भगवान विष्णु भगवान विराजमान होते हैं, लेकिन इस दुर्लभ दसमुखी सर्प प्रतिमा पर भगवान शिव देवी पार्वती संग सपरिवार बैठे हैं।
उन्होंने पूरे वर्ष भर नागचंद्रेश्वर मंदिर बंद रहने के पीछे का कारण भी बताया। उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्पराज तक्षक ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया था। सर्पों के राजा तक्षक की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। उसके बाद से तक्षक राजा भोलेनाथ की शरण में वास करने लगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि नागराज की महाकाल वन में वास करने से पूर्व मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न न हो। यही कारण है कि इस मंदिर के पट वर्ष भर में केवल एक बार खुलते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार यह मंदिर बंद रहता है।
उन्होंने बताया कि इस दिन कालसर्प दोष, ग्रहण दोष, पितर दोष, विष दोष सहित समस्त दोषों की शांति की जाती है। ऐसा करने से शीघ्र ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी के लिए लोग उनसे उनके मोबाइल नंबर 9993652408 पर संपर्क कर सकते हैं।
(अपडेटेड: 21 अगस्त 2023, 02:32 PM IST)
(विशेष खबर ब्यूरो)
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