एफसीआई का नया खेल: 'अब चावल ढुलाई के नाम पर हो रही है बड़ी हेराफेरी'
ट्रांस्पोर्टरों को फायदा पहुंचाने के लिए रचा गया नए तरीके का षड्यंत्र: संतोष सोनी
संतोष कुमार सोनी ने मढ़े गंभीर आरोप
रांची:
पिछले दिनों झ्रारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में चावल घोटाले का मामला सामने आने
के बाद अब इसी इलाके से एक नए गोरखधंधे के साथ बड़ी हेराफेरी की खबर सामने आ रही है।
लेकिन यह हेराफेरी चावल को गायब करने की नहीं, बल्कि जानबूझकर ट्रांस्पोर्टरों को
लाभ पहुंचाने के लिए रची गई साजिश से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि संबंधित इलाके में
पर्याप्त मात्रा में चावल उपलब्ध होने के बावजूद दूसरे जिलों से चावल का उठान करने
का खेल चल रहा है।
बता दें कि इंटक के राष्ट्रीय सचिव सह प्रवक्ता संतोष कुमार सोनी ने कुछ ही समय पहले
यहां से कई ट्रक चावल के 'गायब' हो जाने का सनसनीखेज दावा करते हुए बड़े पैमाने पर
घोटाले का आरोप लगाया था। इसके बाद झारखंड उच्च न्यायालय में इस विषय पर एक जनहित
याचिका दायर कर पूरे मामले की सीबीआई से जांच की मांग भी की जा चुकी है।
यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब एफसीआई की ओर से नई चालाकी करने की बात
सामने आई है। आरोप लगाया गया है कि इस बार अनाज की हेराफेरी करने के बजाय अनाज की
ढुलाई के नाम पर पैसों के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह काला
खेल सीधे तौर पर ट्रांस्पोर्टरों को लाभ पहुंचाने के लिए खेला जा रहा है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सभी जिलों में मौजूद एफसीआई
के अधिकृत मिलों में चावल के लॉट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। फिर भी चावल का
उठान उस जिले से न करके दूसरे जिलों से करवाया जा रहा है। आरोप है कि विभाग अब इस
चालाकी के साथ अनाज की ढुलाई में लगी गाड़ियों और ट्रांस्पोर्टरों को लाभ पहुंचाने
की जुगत में भिड़ा हुआ है।
बताया जा रहा है कि इस नए खेल के कारण
केंद्र और झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बने ग्रीन
कार्ड धारकों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि झारखंड सरकार ने अपने
दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर ग्रीन कार्ड की शुरुआत की थी।
आरोप है कि एफसीआई के अधिकारियों की मनमानी के कारण राज्य सरकार को तो राजस्व का
नुकसान उठाना ही पड़ रहा है, ग्रीन कार्ड धारकों को भी समय से राशन उपलब्ध नहीं हो
पा रहा है। यह स्थिति तब है, जब राज्य के सभी जिलों में मौजूद एफसीआई के अधिकृति
मिलों में चावल की उपलब्धता पर्याप्त है।
इस मामले पर इंटक के राष्ट्रीय सचिव सह प्रवक्ता संतोष कुमार सोनी ने आरोप लगाया कि
पूरा विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। स्थिति यह है कि जहां भी जांच की जाएगी, वहीं
घोटाला सामने आएगा। उन्होंने कहा कि इस बार विभाग बहुत चालाकी से काम कर रहा है। जब
सभी जिलों के अधिकृत मिलों में चावल उपलब्ध है, तो अन्य जिलों से चावल क्यों मंगाया
जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अनाज ढुलाई वाले किराए के इस खेल में विभाग के छोटे अधिकारी से
लेकर बड़े अधिकारी तक शामिल हैं और ट्रांस्पोर्टरों से मिलकर कमीशन खा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस गोरखधंधे के कारण राज्य सरकार को हर महीने लाखों के राजस्व का
नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने इस मामले की तत्काल जांच करवाने और दोषी अधिकारियों
पर कार्रवाई करने की मांग भी की।
(अपडेटेड: 03 मई 2022, 13:02 IST)
(स्रोत: विशेष मीडिया)
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