होगा ब्लैकआउट: 'पूरे देश में छा सकता है अंधकार, जिम्मेदार है मोदी सरकार'
यात्री ट्रेनें रद्द करके कोयले की ढुलाई पर सतीश पॉल मुंजनी का कटाक्ष
कांग्रेस प्रवक्ता सतीश पॉल मुंजनी ने किया बड़ा प्रहार
रांची:
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता सतीश पॉल मुंजनी ने देश में चल रहे बिजली
संकट के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि
मोदी सरकार की लापरवाही के कारण पूरा देश अंधेरे में जा सकता है और ब्लैकआउट की
समस्या खड़ी हो सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है,
जब कोयला ढुलाई के लिए 670 यात्री ट्रेनों को रद्द किया गया हो।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार भविष्य के लिए सोचने में सक्षम
नहीं है। इनके नेता और मंत्री हमेशा भूतकाल में ही जीते हैं और वर्तमान को उस
भूतकाल को याद करने और कांग्रेस एवं गांधी परिवार पर दोषारोपण करने में समय नष्ट कर
देते हैं। इस कारण वे भविष्य की योजनाएं बनाने में नाकाम हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के मंत्री कह रहे हैं कि कोरोना वायरस के समय लोगों ने घर से
काम किया, जिससे बिजली खपत बढ़ी। परंतु इस समय तो कोरोना भी नहीं है। और यदि उनके
आंकड़ों पर ही विश्वास करें, तो उसके हिसाब से 2022-23 के लिए बिजली उत्पादन के
लक्ष्य को समय पर क्यों नहीं बढ़ाया गया। यह अत्यंत गंभीर समस्या है। इससे पूरे
भारतवर्ष में ब्लैकआउट की स्थिति में उत्पन्न हो सकती है, जिसका भारी नुकसान देश को
भुगतना पड़ेगा।
सतीश पॉल मुंजनी ने आरोप लगाया कि केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय की घोर कमी
है। केंद्र का अपना प्रबंधन भी कुप्रबंधन का शिकार है, जहां निर्णय लेने की
स्वतंत्रता शायद नहीं है या फिर स्वतंत्रता है तो निर्णय लेने में लोग सक्षम नहीं
है। जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से सिर्फ 70 वर्षों की चर्चा करती रहती
है।
उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि यात्री ट्रेनों को
रद्द करके कोयला ढोने के लिए मालवाहक ट्रेनों का परिचालन सुनिश्चित किया गया है।
उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या पिछले 70 सालों में किसी ने यह सुना था कि कोयला ढोने
के लिए 670 यात्री ट्रेनों को लंबे समय के लिए रद्द किया गया हो।
सतीश पॉल मुंजनी ने कहा कि किसी ने यह भी
नहीं सुना था कि कोयले की कमी की वजह से देश में अभूतपूर्व बिजली संकट खड़ा हो गया
है। यह भी नहीं सुना गया था कि चूंकि गर्मी ज्यादा बढ़ रही है, इसलिए बिजली की मांग
बढ़ रही है और इस कारण बिजली संकट भी बढ़ रहा है। अगर रेलवे ट्रैक पर केवल कोयला ढोने
वाली ट्रेनें चलेंगी, तो अन्य सामान ढोने वाली ट्रेनें किस ट्रैक पर चलेंगी।
उन्होंने कहा कि बिजली का अभूतपूर्व संकट सामने है। कहीं ऐसा न हो कि यह कह दिया
जाए कि विपक्ष शासित प्रदेश के लोग जानबूझ कर ज्यादा बिजली खर्च कर रहे हैं, जिसकी
वजह से बिजली संकट आया है। यह भी कहा जा सकता है कि विपक्ष शासित राज्य के लोग
ज्यादा खाद्य तेल इस्तेमाल करके जानबूझ कर तेल महंगा कर रहे हैं।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के लोग यह भी कह सकते हैं कि विपक्ष
शासित राज्यों के लोग ज्यादा खाने लगे हैं, इसलिए आटे का संकट पैदा हो गया है। वैसे
भी दिसंबर तक आटा 50 रुपये किलो और खाद्य तेल 300 रुपये लीटर तक खरीदने के लिए कमर
कस लीजिए। जहां तक बिजली की बात है, तो जोर का झटका धीरे से नहीं, बहुत जोर से लगने
वाला है।
प्रवक्ता सतीश पॉल मुंजनी ने कहा कि केंद्र सरकार की रवैये से ऐसा लगता है कि वह
छोटे उद्योगों को नष्ट करने पर उतारू है, जिससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। छोटे बच्चे इस
भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर सकते। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जिंदगी दांव
पर है। रेल और मेट्रो सेवाएं को रोकने से आर्थिक नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि एक ओर जहां झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिजली समस्या को दूर
करने के लिए हर तरह का प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार बिजली
संकट खड़ा कर राज्य को अस्थिर करने की साजिश रच रही है।
(अपडेटेड: 30 अप्रैल 2022, 19:26 IST)
(स्रोत: विशेष मीडिया)
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