लिखी खुली चिट्ठी: सुदेश महतो ने बिजली संकट पर सीएम को लिखी चिट्ठी, दिए सुझाव
'यदि गर्मी की शुरुआत में ही उचित कार्य योजना पर काम होता तो यह नौबत नहीं आती'
सुदेश महतो की फाइल फोटो
रांची:
आज प्रचंड गर्मी के बीच झारखंड के शहरों से लेकर गांव तक चल रहा बिजली संकट पूरे
प्रदेश पर बहुत भारी पड़ रहा है। राज्य की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। यदि गर्मी
की शुरुआत में ही हेमंत सरकार ने उचित कार्य योजना पर काम किया होता, तो यह नौबत नहीं
आती। मौजूदा संकट हेमंत सरकार द्वारा प्रदर्शित की गई घोर लापरवाही का ही परिणाम
है।
झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो
ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक खुली चिट्ठी लिखकर उपरोक्त बातें कही
हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि बिजली की चरमराई स्थिति में सुधार को लेकर
सरकार द्वारा अब तक किए गए सभी प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो
चुका है और जनमानस में भारी आक्रोश व्याप्त है। सरकार की कार्य योजना और तैयारियों
के अभाव में जनप्रतिनिधियों को भी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में पखवाड़े भर से बिजली की भारी कटौती हो रही है।
विभिन्न स्थानों से मिलने वाली जानकारी के अनुसार शहरों में जहां मात्र 10 से 12
घंटे तक ही बिजली मिल रही है, वहीं गांवों की स्थिति और भी बुरी है, जहां मात्र 4
से 6 घंटे तक ही बिजली की आपूर्ति हो रही है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खेती,
सिंचाई, व्यापार और चिकित्सा के क्षेत्र में प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ रहा
है। राज्य के विकास और आर्थिक प्रगति पर भी इसका बड़ा दुष्प्रभाव हुआ है।
सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड चेंबर ने भी मंगलवार को रांची में एक प्रेस वार्ता
आयोजित कर बिजली की चरमराती व्यवस्था पर चिंता जाहिर की और जेवीवीएनएल की वितरण
प्रणाली पर प्रश्न उठाए। यह वास्तव में एक बहुत ही गंभीर स्थिति है।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को ही बिजली
संकट पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था की मांग के अनुरूप बिजली नहीं मिल पा रही
है। सरकार ने अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए 1690 करोड़ रुपए की स्वीकृति दे दी है।
यदि यह कदम पहले उठाया गया होता, तो राज्य के लोगों को इतनी कठिनाइयों का सामना नहीं
करना पड़ता।
सुदेश महतो ने कहा कि जेवीवीएनएल की ओर से
लोडशेडिंग को रीशेड्यूल करने की बात भी कही गई है। इसके तहत यह प्रयास करने की बात
कही गई है कि रात्रि 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लोडशेडिंग न हो। इससे संबंधित
दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। हालांकि यह रीशेड्यूलिंग भी अप्रासंगिक प्रतीत
होता है।
उन्होंने कहा कि इन दिनों कई परीक्षाएं निर्धारित हैं। पढ़ाई के लिए समय पर बिजली
की उपलब्धता का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। इसलिए तात्कालिक तौर पर इस भयावह समस्या
के समाधान के साथ ही बिजली उत्पादन, वितरण और संचरण की व्यवस्था को दुरुस्त करने के
लिए तैयार योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए।
सुदेश महतो ने कहा कि कार्य योजना और सिस्टम के तौर-तरीके पर ध्यान देने से साफ पता
चलता है कि पिछले ढाई वर्ष के अपने कार्यकाल के दौरान सरकार ने बिजली के क्षेत्र
में कोई उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज नहीं की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि
खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड को इस विषम परिस्थिति से बाहर निकालकर राज्य को
विकास की राह पर आगे बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
(अपडेटेड: 28 अप्रैल 2022, 17:06 IST)
(विशेष खबर ब्यूरो)
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