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खतरे में कुर्सी:
समरी लाल के ऊपर गलत तरीके से विधायक बनने का आरोप

कांग्रेस और झामुमो के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते कांग्रेस और झामुमो नेता

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व में कांग्रेस एवं झामुमो के एक संयुक्त शिष्टमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस महोदय से मिलकर कांके विधायक की सदस्यता के मामले को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अलावा झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता विनोद पांडेय एवं रांची जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश कुमार बैठा शामिल थे।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि कार्यालय अंचल अधिकारी, शहर अंचल, रांची (झारखंड) के पत्रांक 681 दिनांक 31.10.2009 द्वारा निर्गत समरी लाल, पिता मिश्री लाल बाल्मीकी, बरियातु, डाकघर-बरियातु, थाना-बरियातु, जिला रांची का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र का दावा गलत है, असत्य है। कांके अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा चुनाव में आरक्षित है, इसलिए उन्होंने यह गलत जाति प्रमाण पत्र नामांकन के समय प्रस्तुत कर चुनाव लड़ने का काम किया और वे विगत चुनाव में निर्वाचित हुए।

नामांकन के समय सुरेश कुमार बैठा, पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी 65 कांके विधानसभा ने समरी लाल के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के दावे को चुनौती देते हुए जांच कर नामांकन रद्द करने का अनुरोध निर्वाचन पदाधिकारी 65-कांके अनुसूचित जाति को पत्रांक-02/19 दिनांक 26.11.2019 को किया था। समरी लाल राजस्थान राज्य के प्रवासी हैं एवं उनके पिता रोजगार की तलाश में रांची आए एवं बस गए। समरी लाल चूंकि राजस्थान के प्रवासी हैं, अतः झारखंड राज्य में अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अर्हता नहीं रखते हैं।

शिष्टमंडल ने दावा किया कि इस प्रकार समरी लाल को निर्गत जाति प्रमाण पत्र अवैध प्रमाण पत्र था और समरी लाल द्वारा अवैध जाति प्रमाण पत्र का लाभ पूर्णतः यह जानते हुए भी लिया गया कि वे झारखंड की अनुसूचित जाति के नहीं हैं। इस तथ्य की जांच माधुरी पाटिल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में गठित जाति जांच समिति द्वारा की गई और सभी संगत नियमों, परिपत्रों और विधि के अनुरूप विचारण के पश्चात जाति जांच समिति का यह सुस्पष्ट अभिमत है कि झारखंड राज्य द्वारा उन्हें निर्गत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र वैध नहीं है।

शिष्टमंडल ने बताया कि इस आलोक में पत्रांक 681 दिनांक 31.10.2009 द्वारा उन्हें प्रदत अनुसूचित जाति (भंगी) का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है। इस प्रकार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 4 एवं 5 के प्रावधान के अनुसार समरी लाल सदस्यता के अयोग्य हैं एवं उनके निर्वाचन का बिंदु ही अब आधारहीन है।

शिष्टमंडल में शामिल नेताओं ने कहा कि समरी लाल को निर्गत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है, इसलिए वे झारखंड राज्य के अनुसूचित जाति के सदस्य नहीं हैं। इस प्रकार उन्होंने झारखंड राज्य की विधानसभा की सदस्यता खो दी है। शिष्टमंडल ने मांग की है कि समीर लाल की झारखंड विधानसभा की सदस्यता अविलंब रद्द करते हुए कांके विधानसभा सीट को रिक्त घोषित किया जाए।

(अपडेटेड: 19 अप्रैल 2022, 19:22 IST)

(विशेष खबर ब्यूरो)

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