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कछुए की चाल:
झारखंड आंदोलनकारी के चिह्नितीकरण की गति पर जताई चिंता

अब युद्ध स्तर पर हो आंदोलनकारियों को चिह्नित करने का कार्य: पुष्कर महतो

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने जताई बड़ी चिंता

राँची: अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वालों को आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित करने के कार्य की धीमी गति को लेकर झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने बड़ी चिंता जताई है। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि झारखंड आंदोलनकारियों को चिह्नित करने का कार्य अब युद्ध स्तर पर होना चाहिए क्योंकि झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के पुनर्गठन के बाद से अब तक नाममात्र के लोगों को ही आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित किया जा सका है। यह पर्याप्त नहीं है।

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता पुष्कर महतो ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कछुए की जिस चाल से इस समय झारखंड आंदोलनकारियों को चिह्नित करने का कार्य किया जा रहा है, उससे आंदोलनकारियों को चिह्नित करने में 20 वर्ष से भी अधिक का समय निकल जाएगा। उन्होंने कहा कि उस समय तक तो अलग राज्य के लिए संघर्ष करने वाले अधिकांश लोगों का निधन भी हो चुका होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वालों को न तो उचित सम्मान मिल सकेगा और न ही उचित पहचान मिल पाएगी। इसलिए राज्य सरकार को तत्काल नीति बनाकर इस दिशा में ठोस पहल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को चिह्नित करके उन्हें मान, सम्मान और पहचान दिलाना इस सरकार का दायित्व होना चाहिए।

पुष्कर महतो ने झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग की कार्यशैली पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि आयोग का रवैया सकारात्मक न होने के कारण कई आंदोलनकारी आज तक आवेदन भी नहीं कर सके हैं। कई आंदोलनकारी ऐसे भी रहे, जिनका चिह्नितीकरण से पूर्व ही निधन भी हो गया। इस कारण आज भी झारखंड आंदोलनकारी एवं उनके आश्रित परिवारों का जीवन हाशिए पर है। उनके आवेदनों पर न तो आयोग की ओर से संज्ञान लिया गया और न ही सरकार की ओर से ठोस पहल की गई।

उन्होंने कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार ने अपने घोषणा-पत्र में पार्टी के एजेंडे के रूप में झारखंड आंदोलनकारियों को मान-सम्मान, पहचान, पेंशन और नियोजन देने की वकालत की थी। बड़े-बड़े भाषण दिए गए थे। परंतु चुनाव जीतने और सरकार बनाने के बाद से अब तक अलग झारखंड राज्य के मूल्यों पर कार्य नहीं किया गया। आयोग को भी शक्ति प्रदान नहीं की गई। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा तक नहीं मिल सका। इस कारण उनके वेतन पर्ची को निर्गत करने में भी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

पुष्कर महतो ने कहा कि खुद को 'माय माटी' की पार्टी कहने वाली इस सरकार से झारखंड आंदोलनकारियों को अभी भी एक बड़ी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के जीवित रहते ही उन्हें चिह्नित करके उन्हें मान-सम्मान, पहचान, पेंशन और नियोजन दिया जाए तथा उनके अस्तित्व की रक्षा की जाए।

उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं के साथ ही जाँच अधिनियम गृह, कारा व आपदा विभाग 1952 के तहत देश के स्वतंत्रता सेनानियों एवं जयप्रकाश आंदोलनकारियों के समतुल्य झारखंड आंदोलनकारियों को भी राजकीय सम्मान सहित सभी प्रकार के लाभ समान रूप से प्रदान किए जाएँ।

(अपडेटेड: 06 अप्रैल 2022, 18:42 IST)

(विशेष खबर ब्यूरो)

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