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मीडिया आयोग:
'समय आ गया है, तत्काल हो मीडिया आयोग का गठन'

मीडिया को अब अपराधियों के साथ ही प्रशासन से भी खतरा: अनुराग सक्सेना

पत्रकारों के हित और सुरक्षा पर जेसीआई गंभीर

बरेली: अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर सच को सामने लाने के प्रयास में जुटे पत्रकार आज तरह तरह के हमलों का शिकार हो रहे हैं। आज के समय में पत्रकारों का काम दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है। पत्रकारों को मात्र अपराधियों और असामाजिक तत्वों से ही नहीं, बल्कि सभी की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले प्रशासन से भी खतरा उत्पन्न होने लगा है। इसलिए अब देश में मीडिया आयोग का गठन किया जाना एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है।

यहाँ बरेली में 'वर्तमान समय में पत्रकारों की सुरक्षा' विषय पर आयोजित गोष्ठी के दौरान जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (जेसीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकारों पर निरंतर हमले हो रहे हैं, जो अत्यंत दुखद है।

उन्होंने कहा कि आज न केवल अपराधी और गुंडागर्दी दिखाने वाले लोग ही पत्रकारों को अपना निशाना बना रहे हैं, बल्कि सच को सामने लाने का प्रयास करने वाले पत्रकारों पर प्रशासन भी अपना हथौड़ा चला रहा है। आज का पत्रकार इन सभी के निशाने पर है क्योंकि वह अलग-अलग माध्यमों से सच्चाई को सामने लाने के प्रयास में जुटा हुआ है।

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने के मामले का उदाहरण देते हुए अनुराग सक्सेना ने कहा कि इस घटना में जिला प्रशासन द्वारा पत्रकारों को ही दोषी करार देकर जेल भेज देना लोकतंत्र की निर्मम हत्या है। अपनी नाकामी छिपाने के लिए जिला प्रशासन पत्रकारों को ही कटघरे में खड़ा कर देता है।

उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में बलिया से अमर उजाला के पत्रकार अजीत कुमार ओझा और दिग्विजय सिंह तथा राष्ट्रीय सहारा के मनोज गुप्ता को जेल में डाल दिया गया। यदि कोई पत्रकार समाज का प्रहरी बनकर भ्रष्टाचार की व्यवस्था को उजागर करने की हिम्मत जुटाता है, तो जिला प्रशासन उसे प्रोत्साहित करने के बजाय उसे ही जेल में डाल कर वाहवाही लूटने लगता है। यह पूर्ण रूप से निंदनीय कृत्य है।

पिछले दिनों बोकारो के सतनपुर स्थित विद्यालय में स्कूल के अध्यापकों और रसोइयों द्वारा पत्रकारों की पिटाई के मामले का उल्लेख करते हुए अनुराग सक्सेना ने कहा कि इन पत्रकारों के ऊपर जानलेवा हमला मात्र इसलिए किया गया क्योंकि वे उक्त स्कूल में शिक्षा के वास्तविक स्तर को जनता के सामने लाने का प्रयास कर रहे थे। इस मामले में पत्रकारों की टीम में शामिल महिला पत्रकार तक को नहीं बख्शा गया। इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।

उन्होंने कहा कि बोकारो में भौकाल टीवी के कैमरापर्सन अयाज, समर और महिला पत्रकार शालिनी सिंह के ऊपर स्कूल के अध्यापकों और रसोइयों की ओर से किए गए हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। यह अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से बार-बार पत्रकारों का मनोबल तोड़ने और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ध्वस्त करने की हरसंभव कोशिश हो रही है।

अनुराग सक्सेना ने कहा कि शासन-प्रशासन को सदैव सजग करना पत्रकारों का नैतिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व है। देश का लोकतंत्र चार स्तंभों पर खड़ा है। पत्रकारिता को चौथा स्तंभ इसलिए माना गया है कि यदि तीन स्तंभ अपने रास्ते से भटकने लगें, तो यह चौथा स्तंभ उन्हें रास्ता दिखा सके। परंतु आज इस चौथे स्तंभ को ही गिराने का प्रयास हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर प्रश्न खड़ा हो चुका है। शासन और प्रशासन को इस विषय पर ध्यान पूर्वक सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए देश में तत्काल मीडिया आयोग का गठन किया जाना चाहिए, ताकि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

(अपडेटेड: 05 अप्रैल 2022, 14:34 IST)

(मीडिया इनपुट्स के साथ विशेष खबर ब्यूरो)

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