दी चेतावनी: 'मजदूर कर्मचारी विरोधी नीतियाँ हों वापस, अन्यथा बुरे परिणाम'
दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी दिखा प्रभाव
हड़ताल के दौरान मजदूर कर्मचारियों ने निकाली रैली
राँची:
विभिन्न मजदूर कर्मचारी संगठनों द्वारा आहूत दो दिवसीय हड़ताल के दौरान बैंकिंग,
कोयला उद्योग, विद्युत, निर्माण, रोडवेज सहित कई केंद्र और प्रदेश सरकार के संस्थानों
पर व्यापक प्रभाव देखने को मिला। इस दौरान झारखंड में लगभग दो करोड़ से अधिक मजदूर
कर्मचारी हड़ताल पर रहे। ऐक्टू, सीटू, इंटक, एआईयूटीयूसी, एटक जैसे संगठनों से जुड़े
मजदूरों ने दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के दौरान अपना काम बंद कर रैलियाँ भी निकालीं।
हड़ताल के दूसरे दिन इन संगठनों से जुड़े मजदूरों ने राँची विश्वविद्यालय के गेट से
लेकर राजभवन तक रैली निकालकर प्रदर्शन भी किया। इन हड़ताली मजदूरों को संबोधित करते
हुए भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को मजदूरों से अधिक
कंपनियों की चिंता है। देश में बेगारी में काम कराने की नई प्रथा की शुरुआत हुई है।
उन्होंने कहा कि पोषण सखी, सहिया, रसोईया, मानदेय कर्मियों को ऐसी हालत का शिकार
होना पड़ रहा है। श्रम कानून में संशोधन फैक्ट्रियों में सस्ती मजदूरी के लिए मोदी
सरकार द्वारा कंपनियों के साथ किया गया एक करार है। चार लेबर कोड मजदूर वर्ग के
अधिकारों पर हथौड़े की मार है। ये लेबर कोड दरअसल मजदूरों की गुलामी के दस्तावेज
हैं। उन्होंने दावा किया कि किसानों की तरह ही मजदूरों का प्रतिरोध भी रंग लाएगा।
संयुक्त ट्रेड यूनियन इंटक के नेता संजीव
कुमार सिंह, सीटू के प्रदेश महासचिव प्रकाश विप्लव, ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु
सेन, बैंक फेडरेशन के एमएल सिंह सहित कई नेताओं ने दो दिवसीय हड़ताल को पूर्णतः सफल
बताते हुए हड़ताल की सफलता के लिए सभी मजदूर कर्मचारियों का धन्यवाद और आभार व्यक्त
किया। उन्होंने कहा कि सरकार को मजदूरों की हितों की चिंता करनी होगी, अन्यथा बुरे
दिन देखने होंगे।
उन्होंने कहा कि यह हड़ताल देश को बचाने का आंदोलन है। देश की आर्थिक संपदा को
मजदूरों और किसानों ने बनाया है और इन्हें निजी कंपनियों के हाथों बिकने नहीं दिया
जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार को मजदूर कर्मचारी विरोधी नीतियाँ
वापस लेनी ही होंगी, अन्यथा यह आंदोलन और भी तेज होगा।
इस प्रदर्शन को निर्माण मजदूर यूनियन के महासचिव भुवनेश्वर केवट, हटिया कामगार
यूनियन के भवन सिंह, एटक के सच्चिदानंद मिश्र, सीटू के अनिर्वाण बोस, कर्मचरी
महासंघ के गोपाल शरण, रामधारी शर्मा, नसीम खान, किसान नेता प्रफुल लिंडा, पुष्कर
महतो, जॉन पॉल, सुखनाथ लोहारा, एनामुल हक, भीम साहू समेत कई नेताओं ने संबोधित किया।
(अपडेटेड: 29 मार्च 2022, 18:58 IST)
(विशेष खबर ब्यूरो)
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