December 24, 2024

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Gayatri Pariwar के सत्संग में बताया - 'आध्यात्म जीवन की सर्वांगीण दृष्टि है, यह समग्र विज्ञान है!'

गायत्री परिवार के सत्संग में बताया – ‘आध्यात्म जीवन की सर्वांगीण दृष्टि है, यह समग्र विज्ञान है!’

Ranchi News : गायत्री परिवार (Gayatri Pariwar) द्वारा दिए जाने वाले आध्यात्मिकता के संदेश के क्रम में युगतीर्थ गायत्री शक्तिपीठ सेक्टर-2 धूर्वा रांची परिसर में महिला मंडल प्रतिनिधित्व में स्वाध्याय का विषय रहा – कैसे बनें हम आध्यात्मिक।

मानव विषय पर गायत्री महिला मंडल स्वाध्याय पाठ में परम पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति-तपोनिष्ठ पण्डित श्रीरामशर्मा आचार्यजी के मासिक पत्रिका अखंड ज्योति से लिया और वरिष्ठ दीदी श्रद्धेया दीप्ति सिंह द्वारा पढ़कर संवाद किया गया। बताया गया कि आध्यात्म कर्मकाण्ड नहीं है, पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि आध्यात्म जीवन की सर्वांगीण दृष्टि एवं समग्र विज्ञान है।

Gayatri Pariwar Satsang

सत्संग में बताया गया कि आध्यात्म में न अधूरापन है, न ही एकांगीपन है। यह समग्रता का पर्याय है। इसमें विचारों व भावनाओं में टकराहट नहीं, बल्कि एक सामंजस्य होता है। इस सामंजस्य में अनुभूति होती है और इस अनुभूति में पवित्रता होती है।

इस पवित्रता में, उत्कृष्टता और इसमें सौन्दर्य का दर्शन होता है, उसे ही आध्यात्म कहते हैं। इसमें पवित्रता का सौन्दर्य दर्शन दैहिक नहीं, आत्मिक होता है। आध्यात्मिकता है विचारों और भावनाओं में, पवित्रता एवं दिव्यता में और यह अवतरित होती है पवित्र व परिशोधित चित्त में।

Gayatri Pariwar Satsang In Ranchi

जब चित्त अपने कलुष संस्कारों से क्लिष्ट संस्कारों में धुल जाता है, तो वह ऐसा होता है जैसे स्वच्छ व साफ तारों भरे आसमान में पूर्णिमा का चांद अपनी शुभ रोशनी बिखेरता हो। चित्त के परिशोधन के बाद अंतर्गगन में परमात्मा का प्रकाश स्वतः ही बिखरने लगता है।

इस पर आगे पूज्यवर श्रीगुरुदेव और स्पष्ट, शानदार व महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि पवित्रता पूजा-पाठ से आए, चाहे ध्यान से, चाहे भजन-कीर्तन से, निष्काम कर्म से आए, चाहे तपस्या से आए, परन्तु आए तो सही, जिस भी विधि से हो, आनी चाहिए और आंतरिक पवित्रता में अभिवृद्धि भी होनी चाहिए, विचार उत्कृष्ट होने चाहिए, भावना सजल होनी चाहिए।

आगे उन्होनें संस्कारों पर भी सार संक्षेप में अनेक गुह्य विवरण प्रस्तुत कर सोदाहरण कहा है कि संस्कारों का दहन सामान्य प्रकिया नहीं है, संस्कार बड़ा हठीला होता है।

-विशेष खबर ब्यूरो


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