December 24, 2024

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झारखंड को मिलने वाला है पहला High Security Special Jail, राशि स्वीकृत!

झारखंड को मिलने वाला है पहला हाई सिक्योरिटी स्पेशल जेल, राशि स्वीकृत! भूमि भी हुई चिह्नित

Ranchi News : झारखंड को जल्द ही पहला हाई सिक्योरिटी स्पेशल जेल (High Security Special Jail) मिलने वाला है। इसके निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसका निर्माण भारत सरकार द्वारा केंद्रीय सेक्टर स्कीम के तहत करवाया जाएगा। इसके लिए 97.73 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी गई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस जेल के निर्माण में 100 करोड़ रुपए के खर्च के बाद जितनी भी अधिक राशि खर्च होगी, वह राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी। इस स्पेशल जेल का निर्माण 25 एकड़ के भू-भाग पर किया जाएगा।

High Security Special Jail In Jharkhand

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाई सिक्योरिटी जेल में हाई सिक्योरिटी सेल का निर्माण किया जाएगा। यहां हार्डकोर व कुख्यात उग्रवादियों, अपरादियों और आतंकवादियों को पूरी सुरक्षा में रखा जाएगा। इस जेल के काराधीक्षक और जेलर भी अलग होंगे। सारी व्यवस्थाएं अलग होंगी।

जेल में प्रशासनिक भवन के साथ ही अधिकारियों एवं कर्मियों के लिए रेजिडेंशियल (आवासीय) भवन का भी निर्माण किया जायेगा। डीपीआर तैयार होने के बाद जेल का निर्माण कार्य भी आरंभ हो जाएगा। यह स्पेशल जेल अत्याधुनिक सुविधाएं से लैस होगा।

High Security Special Jail Construction

सूत्रों ने बताया कि हाई सिक्योरिटी स्पेशल जेल के निर्माण के लिए भूमि का चयन हो गया है। इस हाई सिक्योरिटी जेल की खासियत यह होगी कि जितने भी हार्डकोर उग्रवादी या अपराधी होंगे, उन्हें वहां रखा जाएगा। जेल में कुख्यात अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखने के तमाम उपाय उपलब्ध होंगे।

साथ ही जेल में कर्मचारियों और अन्य लोगों के प्रवेश और निकासी के लिए बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट लॉक सिस्टम भी लगाया जाएगा। सेल इस तरह से बनाए जाएंगे कि दूसरे सेल में बंद कैदी एक-दूसरे को नहीं देख सकेंगे। सभी सेल और परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएंगे।

High Security Special Jail Benefits

बता दें कि झारखंड में फिलहाल सात सेंट्रल जेल और 23 डिस्ट्रिक्ट जेल हैं। इनमें मंडल कारा और उपकारा भी शामिल हैं। जेल आधुनिकीकरण में यह प्रावधान है कि जो बंदी समाज के लिए बेहद खतरनाक बन चुके हैं, उन्हें सामान्य बंदियों से अलग रखा जाएगा।

इन बंदियों को सामान्य बंदियों से अलग रखने के पीछे का तर्क यह है कि उनका प्रभाव अन्य बंदियों पर न पड़े और वे अच्छे नागरिक बनकर जेल से बाहर निकलें। इसलिए यह बंदी की सुधार दिशा में भी बेहतर पहल होगी।

-विशेष खबर ब्यूरो


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