December 24, 2024

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Child Marriage Abolition News

Child Marriage : यह पुस्तक बताती है बाल विवाह के उन्मूलन का शानदार उपाय, अमल होने पर 2030 तक समाप्त हो सकती है यह कुरीति

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवन ऋभु की पुस्तक When Children Have Children का झारखंड में हुआ लोकार्पण

Ranchi News : देश में सदियों से चली आ रही बाल विवाह (Child Marriage) की कुरीति को समाप्त किया जा सकता है। एक पुस्तक में इसके उपाय भी बताए गए हैं। यदि इस पुस्तक में बताई गई कार्य योजना पर अमल किया गया, तो वर्ष 2030 तक देश से बाल विवाह की कुरीति का बहुत हद तक उन्मूलन संभव है।

बता दें कि बाल विवाह जैसी गंभीर समस्या के उन्मूलन को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवन ऋभु की पुस्तक ‘व्हेन चिल्ड्रेन हव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ (When Children Have Children : Tipping Point to End Child Marriage) का झारखंड के सभी 24 जिलों में लोकार्पण किया गया।

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अभी बाल विवाह से मुक्ति का सपना दूर की कौड़ी

वैश्विक संगठन यूनिसेफ (UNICEF) के अनुमान के अनुसार यदि भारत में बाल विवाह (Child Marriage) की दर उतनी ही रही, जितनी पिछले 10 वर्षों से है, तो वर्ष 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घटकर 6 प्रतिशत तक आ सकेगी। ऐसी स्थिति में फिलहाल बाल विवाह से मुक्ति का सपना दूर की कौड़ी लग रहा है।

यह एक गंभीर विषय है और बच्चियों को बाल विवाह से बचाने के लिए तत्काल एक कार्य योजना पर अमल करने की आवश्यकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भुवन ऋभु ने ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ पुस्तक को तैयार किया है।

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मायूसी की हालत में उम्मीद जगाती है यह पुस्तक

भारत में Child Marriage को लेकर मायूसी की इस हालत में भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ 2030 तक भारत में बाल विवाह की दर 5.5 प्रतिशत तक लाने का एक समग्र रणनीतिक खाका पेश करती है। ये संख्या वह देहरी है, जहां से बाल विवाह का चलन अपने आप घटने लगेगा और लक्षित हस्तक्षेपों पर निर्भरता भी कम होने लगेगी।

दावा है कि यदि इस पुस्तक में बताई गई कार्य योजना पर सही तरीके से अमल किया गया, तो वर्ष 2030 में भारत बाल विवाह उन्मूलन के मामले में एक बड़े पड़ाव पर पहुंच सकता है। इस पुस्तक के लेखक एवं प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं एवं बच्चों के हकों की लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवन ऋभु महिलाओं एवं बच्चों के लिए काम करने वाले 160 गैर सरकारी संगठनों के सलाहकार भी हैं।

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लोकार्पण के दौरान बाल विवाह पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

इस पुस्तक का लोकार्पण बाल विवाह पीड़ितों (Child Marriage Victims), कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों से जुड़े लोगों ने किया। लोकार्पण के दौरान बाल विवाह पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि बाल विवाह की वजह से किस तरह उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, किशोरावस्था में गर्भवती होने और नवजात बच्चे की मौत जैसी कितनी ही असंख्य और असह्य पीड़ाओं का सामना करना पड़ा।

‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ नागरिक समाज और महिलाओं की अगुआई में सबसे ज्यादा प्रभावित करीब 300 जिलों में चल रहे बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करने और इस प्रकार हर साल 15 लाख लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल में फंसने से बचाने के प्रयासों में एक अहम हस्तक्षेप है। पुस्तक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक योजना की रूपरेखा भी पेश करती है।

यह ‘पिकेट’ रणनीति के माध्यम से सरकार, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों से नीतियों, निवेश, सम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थितिकी, जहां बाल विवाह में कमी लाई जा सके और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है।

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क्या कहा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के कंट्री हेड ने?

बाल विवाह (Child Marriage) के खिलाफ लड़ाई में ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन’ को एक सामयिक और अहम हस्तक्षेप बताते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कंट्री हेड रवि कांत ने कहा कि नागरिक समाज और सरकार, दोनों ही बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे समर्पण से काम कर रहे हैं। लेकिन जब तक इस अपराध से मुकाबले के लिए हमारे पास एक समन्वित योजना नहीं होगी, तब तक बाल विवाह के खिलाफ टिपिंग प्वाइंट के बिंदु तक पहुंचना एक मुश्किल काम होगा।

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक हमें एक जरूरी रणनीतिक योजना मुहैया कराने के साथ तमाम हितधारकों के विराट, लेकिन बिखरे हुए प्रयासों को एक ठोस आकार और दिशा देती है। उन्होंने इस पुस्तक में बताई गई कार्य योजना पर अमल करने का आह्वान भी किया।

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बाल विवाह मुक्त दिवस मनाने की चल रही है तैयारी

बता दें कि बाल विवाह (Child Marriage) के खात्मे के लिए देश के 300 से ज्यादा जिलों में 160 गैर-सरकारी संगठन मिलकर 16 अक्तूबर, 2023 को बाल विवाह मुक्त दिवस मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। ये सभी संगठन इस दिन देश के हजारों गांवों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, बाल विवाह के खिलाफ प्रतिज्ञाओं, कार्यशालाओं, मशाल जुलूस और तमाम अन्य गतिविधियों के माध्यम से संदेश देंगे कि बाल विवाह हर हाल में खत्म होना चाहिए।

ध्यान देने की बात यह है कि 16 अक्तूबर, 2023 बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ है। इस अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक सामुदायिक सदस्यों, गैर-सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के प्रयासों से हजारों बाल विवाह रोके गए हैं। साथ ही लाखों लोगों ने अपने समुदायों में बाल विवाह नहीं देने की शपथ ली है।

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डराता है झारखंड में बाल विवाह का आंकड़ा

झारखंड की बात करें, तो यहां बाल विवाह (Child Marriage) का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार देश में 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष का होने से पूर्व ही हो गया था, जबकि झारखंड में यह औसत 32.2 प्रतिशत है।

वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में हर साल 3.59 लाख बच्चों का विवाह 18 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले ही हो जाता है। यह एक गंभीर चिंता की बात है और बच्चियों को बाल विवाह का शिकार होने से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

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