‘दृश्यम’ स्टाइल में पुरानी रिकॉर्डिंग और कागजात गिराकर 2 साल तक किया पुलिस और घर वालों को गुमराह
Delhi News : दिल्ली में महिला कॉन्स्टेबल की हत्या (Lady Constable Murder) के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आरोपी ने पूरी तरह से ‘दृश्यम’ फिल्म के अंदाज में लगातार 2 साल तक पुलिस और पीड़िता के घर वालों को गुमराह किया। लेकिन 2 साल बाद आखिरकार हत्या का राज खुल ही गया और आरोपी हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र राणा पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
आरोपी हेड कॉन्स्टेबल ने महिला कॉन्स्टेबल मोनिका यादव उर्फ मोना यादव की हत्या के बाद जिस तरह की चालाकी दिखाई, उसे देखकर पुलिस वाले भी हैरान हैं।
बता दें कि राजधानी दिल्ली में महिला कॉन्स्टेबल की हत्या का राज आखिर 2 साल बाद खुल ही गया। इस हत्याकांड को उसी के साथी हेड कॉन्स्टेबल ने अंजाम दिया था। आरोपी हेड कॉन्स्टेबल ने महिला कॉन्स्टेबल मोनिका यादव उर्फ मोना यादव की हत्या के बाद जिस तरह की चालाकी दिखाई, उसे देखकर पुलिस वाले भी हैरान हैं।
आरोपी हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र राणा ने पेशेवर कातिलों की तरह ही पूरी घटना को फिल्मी स्टाइल में अंजाम दिया। उसने महिला कॉन्स्टेबल की रिकॉर्डिंग को हथियार बनाकर कभी पुलिस को, तो कभी मृतका के घरवालों को लगातार 2 साल तक गुमराह किया।
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कहता था ‘बेटा’ और रखता था बुरी नजर
दिल्ली के इस Lady Constable Murder में जो हैरतअंगेज खुलासे हुए हैं, उन्हें सुनकर सभी दंग रह गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आरोपी हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र राणा ने ‘लापता’ लेडी कॉन्स्टेबल मोना यादव को खोजने का नाटक भी किया और पुलिस वालों पर ही लापरवाही बरतने का आरोप भी लगाया।
मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में सुरेंद्र राणा की भर्ती दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट (PCR Unit) में हेड कॉन्स्टेबल के तौर पर हुई थी। दो साल बाद लेडी कॉन्स्टेबल मोनिका यादव उर्फ मोना यादव की भर्ती भी दिल्ली पुलिस की PCR Unit में हुई।
वह मोना के ऊपर बुरी नजर भी रखता था। पता चला है कि वह मोना से एकतरफा प्यार करने लगा था, जबकि वह खुद पहले से शादीशुदा था।
इसी दौरान मोना और सुरेंद्र के बीच दोस्ती हुई और वह सुरेंद्र को डैडा यानी पिता कहने लगी। इधर सुरेंद्र भी मोना को बेटा कहकर बुलाने लगा। लेकिन वह मोना के ऊपर बुरी नजर भी रखता था। पता चला है कि वह मोना से एकतरफा प्यार करने लगा था, जबकि वह खुद पहले से शादीशुदा था।
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दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी मोना ने
इस Lady Constable Murder केस की तहकीकात में पता चला कि मोना का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए हो गया था। इसलिए उसने दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी और मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी करने लगी। वह अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए IAS या IPS बनना चाहती थी।
इस दौरान भी सुरेंद्र का उससे मिलना-जुलना जारी था। जब मोना को पता चला कि सुरेंद्र उसपर बुरी नजर रखता है, तो दोनों के बीच विवाद भी हुआ। इसी बीच सुरेंद्र 8 सितंबर, 2021 को मोना को दिल्ली के ही अलीपुर स्थित अपने मकान की ओर ले गया।
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नाले में शव फेंका, ऊपर से रख दिए पत्थर
पुलिस को Lady Constable Murder केस की तहकीकात में और भी कई चौंकाने वाली बातों का पता चला। जानकारी मिली कि सुरेंद्र ने मोना को अपने घर ले जाने के बहाने ठिकाने लगाने का प्लान बनाया हुआ था। उसने रास्ते में ही गला घोंटकर मोना की हत्या कर दी।
मोना की लाश को बड़े नाले में फेंक दिया। उसने किसी शातिर कातिल की तरह ही मोना की लाश पर पत्थर भी रख दिए।
इसके बाद उसने ऑटो रुकवाकर मोना की लाश को बड़े नाले में फेंक दिया। उसने किसी शातिर कातिल की तरह ही मोना की लाश पर पत्थर भी रख दिए, ताकि लाश पर किसी की नजर न पड़ सके और वह बाहर न आ जाए। इसके बाद वह वहां से चला गया।
ड्रामा करते हुए सभी को किया गुमराह
दिल्ली के Lady Constable Murder केस के आरोपी सुरेंद्र राणा ने ऐसी चालाकी दिखाई कि किसी को उसपर शक नहीं हुआ। मोना के घरवाले जब उससे संपर्क करते, तो वह बताता कि मोना कहीं गायब हो गई है। वह खुद उसे तलाश रहा है। यहां तक कि मोना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने के लिए भी वह खुद मोना के परिवार वालों के साथ थाने गया था।
इसके बाद भी जब मोना की कोई खबर नहीं मिली, तो उसने मोना के घरवालों के सामने पुलिस वालों को फटकार भी लगाई। उसने थाने में पुलिस वालों को फटकारते हुए यह भी कहा कि पुलिस मोना को ठीक से तलाश नहीं कर रही है।
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जिंदा साबित करने के लिए रचे कई तरह के ड्रामे
Lady Constable Murder की जांच में यह भी पता चला आरोपी सुरेंद्र ने किसी अन्य लड़की को कोराना की वैक्सीन दिलवाकर मोना के नाम से कोरोना वैक्सीन का फर्जी सर्टिफिकेट भी बनवा दिया था, ताकि मोना को जिंदा दिखाया जा सके। साथ ही वह मोना के बैंक खाते से लेन-देन भी करता रहा, जिससे लगे कि वह जिंदा है।
मोना को जिंदा साबित करने के लिए वह उसके सिम कार्ड का भी लगातार उपयोग कर रहा था। वह मोना के घर वालों को झूठमूठ की कहानी सुनाकर कहता था कि मोना ने किसी को फोन किया है और वह इस लोकेशन पर है।
यह जानकारी भी मिली कि मोना को जिंदा साबित करने के लिए वह उसके सिम कार्ड का भी लगातार उपयोग कर रहा था। वह मोना के घर वालों को झूठमूठ की कहानी सुनाकर कहता था कि मोना ने किसी को फोन किया है और वह इस लोकेशन पर है। बाद में वह खुद ही मोना के घर वालों के साथ उस लोकेशन पर जाकर खोजबीन का ड्रामा भी करता था।
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पुरानी रिकॉर्डिंग सुनाकर जिंदा होने का दिलाया भरोसा
जब दिल्ली पुलिस ने Lady Constable Murder केस की गहराई से जांच की, तो और भी चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। पता चला कि आरोपी सुरेंद्र ने मोना की पुरानी रिकॉर्डिंग्स को अपने बचाव का हथियार बना रखा था। इसके लिए उसने अपने साले रॉबिन की सहायता ली। उसने रॉबिन को मोना की कुछ पुरानी रिकॉर्डिंग्स दे दीं। रॉबिन ने अरविंद के नाम से मोना के घरवालों को पांच बार फोन भी किए।
रॉबिन मोना की आवाज वाली पुरानी रिकॉर्डिंग चला देता था, जिसमें मोना बोलती थी कि मुझे तलाश मत करो, मैं सही-सलामत हूं, मम्मी बेवजह परेशान होती हैं।
वह बताता था कि मोना उसके साथ है और जब मोना के घर वाले मोना से बात करवाने की बात कहते, तो रॉबिन मोना की आवाज वाली पुरानी रिकॉर्डिंग चला देता था, जिसमें मोना बोलती थी कि मुझे तलाश मत करो, मैं सही-सलामत हूं, मम्मी बेवजह परेशान होती हैं। इससे मोना के घर वालों को लगता था कि मोना जिंदा और सही-सलामत है।
पुलिस ने लगाया लांछन, तो जन सुनवाई का लिया सहारा
मोना यादव की बड़ी बहन ने आरोप लगाया है कि Lady Constable Murder केस में मुखर्जी नगर थाने की पुलिस ने बड़ी लापरवाही दिखाई। पुलिस ने अपहरण का केस भी 8 महीने बाद यानी अप्रैल 2022 में दर्ज किया। लेकिन पुलिस ने मोना को खोजने के बजाय यह तक कह दिया कि तुम्हारी बहन किसी के साथ भाग गई है।
कोई सुनवाई न होने पर लगभग 2 महीने पहले मोना की बड़ी बहन जन सुनवाई में पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से मिली। इसके बाद यह मामला क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर किया गया, जिसने जांच में तेजी दिखाते हुए आरोपी हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र राणा को दबोच लिया।
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क्राइम ब्रांच ने दिखाई तत्परता, तब हुआ खुलासा
दिल्ली के इस Lady Constable Murder केस की जांच में जुटी क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले उस नंबर की पड़ताल की, जिससे अरविंद बनकर रॉबिन फोन किया करता था। पता चला कि यह नंबर पवन नाम के किसी व्यक्ति का है। लेकिन उसमें डीपी राजपाल नाम के किसी व्यक्ति की लगी हुई थी।
इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने राजपाल को दबोचा और पूछताछ शुरू की। पता चला कि राजपाल और पवन दोस्त हैं। कड़ाई से पूछताछ में पूरे मामले का खुलासा हो गया।
Murder in Filmy Style
‘दृश्यम’ फिल्म की स्टाइल में किया सबको गुमराह
जांच में पता चला कि Lady Constable Murder केस का मामला पर्दे के पीछे रखने के लिए आरोपी सुरेंद्र और उसके साले रॉबिन ने क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘दृश्यम’ का स्टाइल अपनाया। इस काम में रॉबिन ने कॉल गर्ल का सहारा लिया, ताकि उसे मोना के रूप में जिंदा दिखाया जा सके। वह कॉल गर्ल के साथ हरियाणा, देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी जैसे शहरों के होटल भी जाता रहा।
जब पुलिस फोन को ट्रैक करके उस जगह पर पहुंचती थी, तो होटल वाले पुलिस के सामने पुष्टि कर देते थे कि मोना नाम की लड़की वहां आई थी और उसके कागजात यहां छूट गए थे।
होटल छोड़ते समय रॉबिन जानबूझकर मोना से जुड़े कागजात गिरा देता था। फिर मोना के ही नंबर से होटल में कॉल करके कागजात गिरने की जानकारी देता था। जब पुलिस फोन को ट्रैक करके उस जगह पर पहुंचती थी, तो होटल वाले पुलिस के सामने पुष्टि कर देते थे कि मोना नाम की लड़की वहां आई थी और उसके कागजात यहां छूट गए थे। इससे भी मोना के जिंदा होने की बात को बल मिलता था।
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आरोपी के ड्रामे के बीच मोना का कंकाल हुआ बरामद
Lady Constable Murder केस की जांच में जुटी पुलिस ने अलीपुर से मोना का कंकाल बरामद कर लिया है। इसे जांच के लिए फोरेंसिक टीम के पास भेज दिया गया है। अब मोना के घर वालों का डीएनए लेकर बरामद कंकाल के साथ उसका मिलान कराया जाएगा, ताकि यह पुष्टि हो सके कि वह कंकाल मोना का ही है।
इससे पहले आरोपी सुरेंद्र ने पुलिस के आला अधिकारियों को भी गुमराह करने की पूरी कोशिश की थी। लाश बरामद करने के नाम पर वह पुलिस टीम को अलग-अलग स्थानों पर ले जाता रहा था। लेकिन लंबी और कड़ाई से पूछताछ में वह टूट गया, जिसके बाद पुलिस ने अलीपुर से मोना का कंकाल बरामद कर लिया।
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