असम और देश के बाकी हिस्सों से जुटाए गए आंकड़ों के अध्ययन पर तैयार हुई रिपोर्ट
Delhi News : देश में बाल विवाह (Child Marriage) की रोकथाम में कानूनी कार्रवाई बहुत तेजी से सार्थक साबित हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामलों में होने वाली कानूनी हस्तक्षेपों के कारण असम में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी आने का दावा किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के अध्ययन दल की रिपोर्ट ‘टुवार्ड्स जस्टिस : एंडिंग चाइल्ड मैरेज’ ने बाल विवाह की रोकथाम में कानूनी कार्रवाइयों और अभियोजन की अहम भूमिका को उजागर किया है।
Child Marriage Protection Act
असम और देश के बाकी हिस्सों से जुटाए गए आंकड़े
असम और देश के बाकी हिस्सों से जुटाए गए आंकड़ों के अध्ययन के बाद तैयार की गई इस रिपोर्ट के नतीजे बताते हैं कि 2021-22 से 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो और बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) के संस्थापक सह बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु की मौजूदगी में बाल विवाह पीड़ितों द्वारा जारी की गई यह रिपोर्ट इस बात की ओर साफ संकेत करती है कि कानूनी कार्रवाई बाल विवाह के खात्मे के लिए सबसे प्रभावी औजार है।
Child Marriage In India
असम सरकार के अभियान से 30 प्रतिशत गांवों में लगी पूरी रोक
रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 से 2023-24 के बीच असम के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आई है। इस अध्ययन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और असम के 20 जिलों के 1,132 गांवों से आंकड़े जुटाए गए, जहां कुल आबादी 21 लाख है जिनमें 8 लाख बच्चे हैं।
नतीजे बताते हैं कि बाल विवाह के खिलाफ जारी असम सरकार के अभियान के नतीजे में राज्य के 30 प्रतिशत गांवों में बाल विवाह पर पूरी तरह रोक लग चुकी है। साथ ही 40 प्रतिशत उन गांवों में इसमें उल्लेखनीय कमी देखने को मिली, जहां कभी बड़े पैमाने पर बाल विवाह का चलन था।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि इन 20 में से 12 जिलों के 90 प्रतिशत लोगों ने इस बात में भरोसा जताया कि इस तरह के मामलों में एफआईआर और गिरफ्तारी जैसी कानूनी कार्रवाइयों से बाल विवाह की कारगर तरीके से रोकथाम की जा सकती है।
Child Marriage In Assam
बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश में तत्काल कदम उठाना आवश्यक
रिपोर्ट बाल विवाह के खात्मे के लिए न्यायिक तंत्र द्वारा पूरे देश में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। रिपोर्ट के अनुसार 2022 में देश भर में बाल विवाह के कुल 3,563 मामले दर्ज हुए, जिसमें केवल 181 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा हुआ।
निपटारे की यह दर अत्यंत चिंताजनक स्थिति दर्शा रही है। रिपोर्ट के अनुसार लंबित मामलों की दर 92 प्रतिशत है। इसके अनुसार मौजूदा दर के हिसाब से इन 3,365 मामलों के निपटारे में 19 साल का समय लगेगा। इसे तेज करने की आवश्यकता है।
Child Marriage Protection In India
केवल देश में ही नहीं, अन्य देशों में भी असम का मॉडल होना चाहिए लागू
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि भारत हर मायने में वैश्विक नेता बनने की राह पर है। बच्चों पर इस महान राष्ट्र के कल का दारोमदार है और उनके भविष्य को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता है। सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर आई है। हम इसे ध्यानपूर्वक देखेंगे, ताकि यह समझ सकें कि इसके निष्कर्ष बाल विवाह के मुद्दे पर हमारे कामकाज और समझ में कैसे मदद कर सकते हैं। असम के एफआईआर दर्ज कर बाल विवाह रोकने के मॉडल का देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी अनुकरण करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आयोग अपने रुख को लेकर स्पष्ट है कि धार्मिक आधार पर बच्चों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। बाल विवाह निषेध कानून (पीसीएमए) और पॉक्सो धर्मनिरपेक्ष कानून हैं और वे किसी भी धर्म या समुदाय के रीति-रिवाजों का नियमन करने वाले कानूनों से ऊपर हैं।
Child Marriage Act
कानूनी कार्रवाइयां जागरूकता फैलाने का सबसे प्रभावी औजार
रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल विवाह मुक्त भारत के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि असम ने यह दिखाया है कि निवारक उपायों के तौर पर कानूनी कार्रवाइयां बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश पहुंचाने में सबसे प्रभावी औजार हैं। आज असम में 98 प्रतिशत लोग मानते हैं कि अभियोजन बाल विवाह को समाप्त करने की कुंजी है।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत बनाने के लिए असम का यह संदेश पूरे देश में फैलना चाहिए। भारत को दुनिया को यह दिखाना होगा कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करना तभी संभव है, जब हम अगले दस सालों में बाल विवाह मुक्त दुनिया के निर्माण के लिए ठोस और प्रभावी कानूनी कदम उठाएं।
Child Marriage A Criminal Offence
बाल विवाह को बलात्कार की आपराधिक साजिश माना जाए
रिपोर्ट ने लंबित मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के अलावा बाल विवाह को बलात्कार की आपराधिक साजिश के बराबर मानते हुए इसमें सहभागी माता-पिता, अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों के लिए सजा को दोगुना करने की भी सिफारिश की है।
आईसीपी, बाल विवाह मुक्त भारत का गठबंधन सहयोगी है, जिसने 2022 में राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की और इसके 200 सहयोगी संगठन भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब “व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज” में सुझाई गई कार्य योजना पर अमल करते हुए पूरे देश में काम कर रहे हैं।
Child Marriage In Jharkhand
बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में समझाने-बुझाने का भी इस्तेमाल
सीएमएफआई अपने कामकाज में मुख्य रूप से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में समझाने-बुझाने के उपायों का इस्तेमाल करता है। सीएमएफआई के सहयोगी संगठनों ने कानूनी हस्तक्षेपों की मदद से 2023-24 में 14,137 और पंचायतों की मदद से 59,364 बाल विवाह रुकवाए हैं।
इस रिपोर्ट में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों और बाल सुरक्षा पहलों से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं जैसे प्रमुख हितधारकों की मदद से गांव स्तर पर जुटाए गए प्राथमिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है और इनका राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो जैसे सरकारी स्रोतों से जुटाए गए द्वितीयक आंकड़ों से मिलान किया गया है।
-विशेष खबर ब्यूरो
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