सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन, मतदाताओं को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार’
Delhi Desk : सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) पर रोक लगाने के फैसले से राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा सहित सभी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तोड़ निकालने में जुट गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और भारतीय स्टेट बैंक को भी कड़े निर्देश जारी किए हैं।
यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि देश के आम चुनावों में अब लगभग दो माह का ही समय बचा रह गया है।
बता दें कि 15 फरवरी, 2024 (गुरुवार) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उसपर तत्काल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि देश के आम चुनावों में अब लगभग दो माह का ही समय बचा रह गया है।
Electoral Bonds Discontinued
मतदाताओं को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार
इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। देश के मतदाताओं को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है।
कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे और राजनीतिक दलों का विवरण पेश करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग और इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने वाले बैंक एसबीआई को भी कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे और राजनीतिक दलों का विवरण पेश करे।
Electoral Bonds News in Hindi
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम से काले धन की समस्या का समाधान नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसमें सूचना के अधिकार के नियम का उल्लंघन है। आम लोगो को यह तो पता होना ही चाहिए कि वे जिन दलों को वोट दे रहे हैं, उन्हें किससे कितना चंदा मिल रहा है। उनकी फंडिंग की व्यवस्था क्या है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्कीम काले धन की समस्या का समाधान नहीं करती। इसमें बॉन्ड खरीदने वालों के नाम ही उजागर नहीं होते। जबकि इनके बारे में आम लोगों को पता होना चाहिए। ऐसा न होना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
Electoral Bonds Scheme Illegal
चुनाव आयोग की भी हुई जमकर खिंचाई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की भी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि आप चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने वाली एजेंसी हैं। यदि आपको ही पता नहीं होगा कि चुनाव में राजनीतिक दलों को कहां से कितना पैसा मिला है, तो फिर पारदर्शिता कैसे आएगी।
अपनी ओर से कठोर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारे करने वाले भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया है कि वह चुनाव आयोग को बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी दे। फिर आयोग उस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर शेयर करे।
Electoral Bonds Scheme in India
फंडिंग के लिए किसी अन्य व्यवस्था पर विचार करें राजनीतिक दल
राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग की आवश्यकता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की किसी और व्यवस्था पर विचार करना होगा। ऐसी योजना के बारे में सोचना होगा, जिससे पारदर्शिता आए और दलों को फंडिंग भी मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड को पूरी तरह असंवैधानिक करार देने के बाद इसपर तत्काल रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही कंपनीज ऐक्ट और जनप्रतिनिधित्व कानून में किए गए संशोधन भी अब रद्द हो गए हैं।
-विशेष खबर ब्यूरो
यह भी देखें: VIDEO – Tejasswi Prakash की अदाओं के दीवाने होते जा रहे हैं फैंस, झलक पाने के लिए मचलता है दिल
कम खर्च में अपनी खूबसूरत वेबसाइट बनवाएं। यहां क्लिक करें।
More Stories
दर्दनाक : खेलने जा रहा बच्चा गिरा खुले नाले में, बचाने की कोशिशें भी काम नहीं आईं! PWD विभाग की लापरवाही ने ली जान
फिर से दरिंदगी : दिल्ली में एक बार फिर हुआ निर्भया कांड, समाज सेविका के साथ किया घिनौना काम
समाज सत्ता ने यमुना के प्रदूषण को लेकर ‘आप’ और भाजपा को घेरा, कहा – दोनों पार्टियों ने यमुना के साथ की गद्दारी