December 23, 2024

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Electoral Bonds पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद राजनीतिक दलों में खलबली, जुटे फैसले का तोड़ निकालने में

Electoral Bonds पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद राजनीतिक दलों में खलबली, जुटे फैसले का तोड़ निकालने में

Delhi Desk : सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) पर रोक लगाने के फैसले से राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है। केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा सहित सभी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का तोड़ निकालने में जुट गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और भारतीय स्टेट बैंक को भी कड़े निर्देश जारी किए हैं।

यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि देश के आम चुनावों में अब लगभग दो माह का ही समय बचा रह गया है।

बता दें कि 15 फरवरी, 2024 (गुरुवार) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उसपर तत्काल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि देश के आम चुनावों में अब लगभग दो माह का ही समय बचा रह गया है।

Electoral Bonds Discontinued

इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। देश के मतदाताओं को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है।

कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे और राजनीतिक दलों का विवरण पेश करे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग और इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने वाले बैंक एसबीआई को भी कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे और राजनीतिक दलों का विवरण पेश करे।

Electoral Bonds News in Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसमें सूचना के अधिकार के नियम का उल्लंघन है। आम लोगो को यह तो पता होना ही चाहिए कि वे जिन दलों को वोट दे रहे हैं, उन्हें किससे कितना चंदा मिल रहा है। उनकी फंडिंग की व्यवस्था क्या है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्कीम काले धन की समस्या का समाधान नहीं करती। इसमें बॉन्ड खरीदने वालों के नाम ही उजागर नहीं होते। जबकि इनके बारे में आम लोगों को पता होना चाहिए। ऐसा न होना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

Electoral Bonds Scheme Illegal

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की भी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि आप चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने वाली एजेंसी हैं। यदि आपको ही पता नहीं होगा कि चुनाव में राजनीतिक दलों को कहां से कितना पैसा मिला है, तो फिर पारदर्शिता कैसे आएगी।

अपनी ओर से कठोर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारे करने वाले भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया है कि वह चुनाव आयोग को बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी दे। फिर आयोग उस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर शेयर करे।

Electoral Bonds Scheme in India

राजनीतिक दलों के लिए फंडिंग की आवश्यकता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की किसी और व्यवस्था पर विचार करना होगा। ऐसी योजना के बारे में सोचना होगा, जिससे पारदर्शिता आए और दलों को फंडिंग भी मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड को पूरी तरह असंवैधानिक करार देने के बाद इसपर तत्काल रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही कंपनीज ऐक्ट और जनप्रतिनिधित्व कानून में किए गए संशोधन भी अब रद्द हो गए हैं।

-विशेष खबर ब्यूरो


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