December 24, 2024

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Chik Baraik जनजाति 100 वर्षों से भुगत रही है लिपिकीय भूल का परिणाम

Chik Baraik जनजाति 100 वर्षों से भुगत रही है लिपिकीय भूल का परिणाम, हो समाधान : संजय सेठ

Delhi News : झारखंड में चिक बड़ाइक (Chik Baraik) जनजाति 100 वर्ष से लिपिकीय भूल का परिणाम भुगत रही है। इस कारण इन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसका तत्काल समाधान आवश्यक है। रांची के लोकसभा सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर उनसे इस संबंध में तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार से मुलाकात के बाद सांसद संजय सेठ ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करवा दिया है और साथ ही इस मुद्दे के समाधान का आग्रह भी किया है।

Delhi News in Hindi

सांसद संजय सेठ ने बताया कि Chik Baraik जनजाति झारखंड की प्रमुख जनजातियों में से एक है। उनके रीति रिवाज, संस्कृति, रहन-सहन, पर्व-त्योहार सभी जनजातीय समाज से ही जुड़े हुए हैं। इसके बावजूद लिपिकीय भूल ने इस जनजाति के समक्ष समस्या उत्पन्न कर दी है।

उन्होंने कहा कि 1907-08 में हुए एक सर्वेक्षण के दौरान कर्मचारियों की गलती से लिपिकीय भूल के कारण उनकी जाति चिक-बड़ाइक को दो भागों में तोड़ दिया गया। कहीं चिक लिख दिया गया, तो कहीं बड़ाइक लिख दिया गया। इतने लंबे समय बीतने और इस समाज के बार-बार आग्रह करने के बाद भी अब तक राज्य स्तर पर इसमें कोई सुधार नहीं किया गया। इसका नुकसान इस जनजातीय समाज के लाखों युवाओं को हो रहा है।

Chik Baraik News in Hindi

संजय सेठ ने कहा कि Chik Baraik जनजाति के खतियान में भी कहीं चिक तो कहीं बड़ाइक लिख दिया गया है। इस कारण इस जनजाति के लोग जाति प्रमाण-पत्र भी नहीं बनवा पा रहे हैं। झारखंड में इस समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है। जनजातीय प्रमाण-पत्र नहीं बनने के कारण इन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद इनकी स्थितियों का गलत लाभ भी उठाया गया। इन्हें जनजातीय समुदाय से बाहर कर दिया गया। वर्तमान समय में यह जनजाति अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इस संबंध में इन्होंने विभिन्न स्तर पर मुझसे पहल करने का आग्रह भी किया है।

Problems of Chik Baraik Community

सांसद संजय सेठ ने कहा कि Chik Baraik जनजाति की समस्या का समाधान जल्द किया जाना आवश्यक है। इस समुदाय के लोग भी हमारे अपने हैं और उन्हें हो रही समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस कारण उन्होंने केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है।

अपने ज्ञापन में सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई हेतु राज्य सरकार और संबंधित विभाग को निर्देशित किया जाए, ताकि झारखंड के जनजातीय समुदाय के महत्वपूर्ण अंग का अस्तित्व और उनकी संस्कृति अक्षुण्ण रह सके।

-विशेष खबर ब्यूरो