इजरायल का समर्थन करने पर कांग्रेस ने दिखाई नाराजगी, सलमान खुर्शीद ने कही बड़ी बात
International News : पिछले कुछ दिनों से शुरू हुए इजरायल और हमास के युद्ध (Israel Hamas War) के बीच भारत ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है। इसे लेकर भारत में भी सियासी उथल-पुथल मच गई है। भारत PM Modi की अगुवाई वाली सरकार की ओर से इजरायल का समर्थन करने पर विपक्षी कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर है।
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल पर हमास के हमले को आतंकी हमला करार दिया है, वहीं कांग्रेस इस मामले में भारत सरकार से संतुलित प्रतिक्रिया चाहती है। लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि पहले ऐसे मामलों में भारत का रुख क्या रहा है।
Israel Hamas War News in Hindi
खबर क्या है?
Israel Hamas War : विगत शनिवार को जब फिलिस्तीन की ओर से हमास ने इजरायल पर अचानक हमला किया, तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई। इसके कुछ ही घंटों में PM Modi ने इसे आतंकी हमला करार देते हुए कहा कि भारत के लोग इस मुश्किल समय में इजरायल के साथ खड़े हैं।
यहां तक कि मंगलवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और इस दौरान भी PM Modi ने इजरायल के समर्थन की बात दोहराई। अब इस बात को लेकर भारत में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई है।
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दुनिया के अन्य देशों का क्या है रुख?
शनिवार से चल रहे Israel Hamas War के बीच यह जानना भी जरूरी है कि दुनिया के अन्य देशों का रुख किस ओर है। अभी तक की स्थिति पर नजर डालें, तो पता चलता है कि खुद को विश्व शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने वाला अमेरिका पूरी मजबूती के साथ इजरायल का साथ दे रहा है। अमेरिका की ओर से इजरायल को हथियारों की पहली खेप भी मिल चुकी है।
वहीं दूसरी ओर मध्य-पूर्व के इस्लामिक देश फिलिस्तीन के साथ मजबूती से खड़े नजर आते हैं और वो फिलिस्तीनियों के लिए अलग राष्ट्र की मांग करते रहे हैं। हालांकि, यूएई, बहरीन और मोरक्को जैसे कुछ इस्लामिक देशों का रुख अब इजरायल को लेकर बदल रहा है। यूएई और बहरीन ने तो हमले के लिए हमास की निंदा भी की है।
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इजरायल और फिलिस्तीन पर कैसा रहा है भारत का रुख?
बता दें कि मौजूदा स्थिति में Israel Hamas War को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार खुलकर इजरायल के साथ खड़ी नजर आ रही है। लेकिन अब भारत में इस मुद्दे पर सियासी उबाल भी मच चुका है। इसका कारण यह है कि भारत परंपरागत रूप से फिलीस्तीन का समर्थन करता आया है। लेकिन मोदी सरकार खुलकर इजरायल के साथ खड़ी दिख रही है।
इतना ही नहीं, ऐसे मामलों में भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से ही बयान जारी होते आए हैं। लेकिन इस बार PM Modi ने नई परंपरा शुरू करते हुए तुरंत ट्वीट कर कहा कि इजरायल पर आतंकी हमलों से गहरा सदमा लगा है। हमारी प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवार वालों के साथ हैं।
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क्या बदल गई है इजरायल-फिलिस्तीन पर भारत की नीति?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Israel Hamas War के बीच मंगलवार को भी एक ट्वीट कर बताया कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मुझे फोन कर स्थिति की ताजा जानकारी दी, जिसे लेकर मैं उनका धन्यवाद करता हूं। इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोग मजबूती के साथ इजरायल के साथ खड़े हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा करता है।
इस मामले में भारत की ओर से सामने आने वाली त्वरित प्रतिक्रियाओं को देखते हुए यह भी कहा जाने लगा है कि मोदी सरकार इजरायल-फिलिस्तीन के संबंध में भारत की नीति बदलने में जुट गई है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि ऐसे मामलों में भारत किसी एक देश का पक्ष नहीं लेता। लेकिन इस बार भारत ने तत्काल इजरायल का समर्थन करके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों को चौंका दिया है।
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पहले इजरायल से दूरी रखता था भारत
Israel Hamas War के बीच प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि भारत और इजरायल के संबंध तेजी से गहरे हुए हैं। लेकिन अगर इतिहास की बात करें, तो भारत ने लंबे समय तक इजरायल से दूरी बनाकर रखी थी। यहां तक कि वर्ष 1948 में इजरायल के गठन के बाद चार दशक से भी अधिक समय तक भारत ने उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए थे।
उस दौर में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सहित अनेक नेताओं का मानना था कि धर्म के आधार पर किसी देश का निर्माण नहीं होना चाहिए, जबकि यहूदी बहुल होने के कारण इजरायल का निर्माण धर्म के आधार पर ही हुआ था।
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अक्सर इजरायल के विरोध में खड़ा रहा भारत
मौजूदा Israel Hamas War के दौरान इजरायल के साथ खड़ा दिखने वाला भारत पहले अक्सर इजरायल के विरोध में खड़ा रहता था। वर्ष 1956 में भी स्वेज नहर विवाद के दौरान भारत ने इजरायल के खिलाफ मिस्र का साथ दिया था। वर्ष 1967 में इजरायल और फिलिस्तीन के 6 दिनों के युद्ध में भी भारत ने इजरायल का विरोध करते हुए फिलिस्तीन का समर्थन किया था।
इजरायल के साथ भारत के पूर्ण राजनयिक संबंध वर्ष 1992 में स्थापित हुए थे। इसके बाद भी कई अवसरों पर भारत ने इजरायल का विरोध किया था। वर्ष 2006 के लेबनान युद्ध में भी भारत ने इजरायल से गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बल प्रयोग बंद करने का आग्रह किया था।
इतना ही नहीं, वर्ष 2014 में हुए गाजा युद्ध के दौरान भी भारत ने कहा था कि वह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बातचीत का पक्षधर है। यहां तक कि उस समय भारत ने फिलिस्तीनियों के लिए अलग देश होने की बात भी कही थी।
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भारत-इजरायल के संबंधों में कब से आई मजबूती
ताजा Israel Hamas War के बीच भारत की ओर से इजरायल का समर्थन करना कई लोगों के लिए हैरानी भरा कदम हो सकता है। लेकिन वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही भारत और इजरायल के संबंधों में अप्रत्याशित मजबूती दिखने लगी थी। भाजपा का तर्क यह है कि भारत और इजरायल एक स्वाभाविक सहयोगी हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच आपसी संबंध भी बहुत गहरे माने जाते हैं। वर्ष 2017 में PM Modi ने इजरायल की यात्रा करके एक नया इतिहास भी रचा था। वे इजरायल की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे।
Israel Hamas War
कई क्षेत्रों में बढ़ा भारत और इजरायल का आपसी सहयोग
आंकड़े बताते हैं कि Israel Hamas War के पहले से भारत और इजरायल तेजी से निकट आए हैं। पिछले कुछ वर्षों भारत और इजरायल ने कई संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। वर्ष 2018 में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत के दौरे पर आए थे। इस दौरे के बाद भारत-इजरायल ने अंतरिक्ष, सूचना और आतंकवाद के क्षेत्र में भी अपने सहयोग को बढ़ाया है।
इसके अलावा इजरायल और भारत 2021 में बने I2U2 समूह का हिस्सा हैं। साथ ही इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों से भी भारत परहेज करता रहा है। ये सभी उदाहरण दिखाते हैं कि भारत और इजरायल के रिश्तों में काफी तेजी से मजबूती आई है।
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इजरायल का समर्थन करने से बौखलाई कांग्रेस
इस बीच भारत में भी राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई है। Israel Hamas War के दौरान भारत की ओर से इजरायल का समर्थन करने पर कांग्रेस ने नाराजगी दिखाई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि मौजूदा जंग में भारत का रुख उचित नहीं है।
सलमान खुर्शीद का कहना है कि भारत को फिलिस्तीन में शांति की स्थापना का प्रयास करना चाहिए था। फिलिस्तीन को लेकर भारत का ऐतिहासिक रिकॉर्ड हमेशा यही रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से अब यह बदल गया है। मिस्र, कतर और कई देश शांति स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसमें भारत कहीं नजर नहीं आ रहा है। इस बात से मुझे निराशा हो रही है।
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