इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर बरसा देती हैं कृपा : संजय सर्राफ
Ranchi News : राष्ट्रीय सनातन एकता मंच एवं विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूरे देश में श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी देवी के साथ जुड़ा हुआ है और विशेष रूप से रुक्मिणी जी की पूजा का दिन माना जाता है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष पौष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से व्रत रखा जाता है और पूजा का आयोजन किया जाता है। रुक्मिणी अष्टमी के अवसर पर देवी रुक्मिणी और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।
Rukmini Ashtami Celebration
मां लक्ष्मी का अवतार हैं देवी रुक्मिणी
संजय सर्राफ ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन द्वापर युग में देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। वे विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। देवी रुक्मिणी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। यह मान्यता है कि रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत करके देवी रुक्मिणी की पूजा करने से मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूरी करती है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर रविवार को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 23 दिसंबर, सोमवार को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार उदयातिथि के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी का व्रत 23 दिसंबर सोमवार को मनाया जाएगा।
Rukmini Ashtami 2024 Date
श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं में रही हैं सहभागी
संजय सर्राफ ने कहा कि देवी रुक्मिणी भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी और उनके साथ उनकी दिव्य लीलाओं में सहभागी रही हैं। रुक्मिणी जी का जन्म महाकाव्य ‘भगवद गीता’ के अनुसार रुक्मिणीपुर में हुआ था। रुक्मिणी जी को भगवान श्री कृष्ण की परम भक्त और उनका प्रिय माना जाता है।
उनके विवाह की कथा बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें रुक्मिणी जी ने अपने स्वप्न में भगवान श्री कृष्ण को देखा और उन्हें अपना जीवन साथी चुना। रुक्मिणी जी के विवाह में भगवान कृष्ण द्वारा किए गए साहसिक कार्य और उनकी भक्ति की महानता का बखान किया जाता है। यही कारण है कि रुक्मिणी अष्टमी को एक श्रद्धांजलि और भक्ति का पर्व मानते हुए पूजा का आयोजन किया जाता है।
Rukmini Ashtami Importance
सुनाई जाती है भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा
उन्होंने कहा कि रुक्मिणी अष्टमी के दिन भक्तगण विशेष रूप से व्रत रखते हैं और पूरे दिन भगवान कृष्ण एवं रुक्मिणी देवी की पूजा करते हैं। इस दिन व्रती विशेष रूप से रुक्मिणी जी की मूर्ति को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं और उन्हें विशेष प्रसाद अर्पित करते हैं।
मंदिरों में भव्य पूजा आयोजन होता है, जहां भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई जाती है। इस दिन व्रती उपवास रहते हुए भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणी जी का ध्यान करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Rukmini Ashtami In December
प्रेम, भक्ति और त्याग का प्रतीक है यह पर्व
संजय सर्राफ ने बताया कि रुक्मिणी अष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध है। यह पर्व प्रेम, भक्ति और त्याग का प्रतीक है। रुक्मिणी और श्री कृष्ण के संबंधों को प्रेम और समर्पण का आदर्श माना जाता है।
उन्होंने कहा कि इस दिन को मनाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में आपसी प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। रुक्मिणी अष्टमी भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के साथ हमारी आत्मीयता और भक्ति को और मजबूत करती है। यह दिन हमें अपने जीवन में सत्य, प्रेम और समर्पण के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है।
-विशेष खबर ब्यूरो
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