बच्चों की अश्लील सामग्री देखने वाला वास्तव में बच्चों के बलात्कार के वीडियो की मांग को बढ़ावा देता है : भुवन ऋभु
Delhi News : बच्चों का ऑनलाइन यौन उत्पीड़न (Online Sexual Harassment) सीमा विहीन और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति का अपराध होता है। इसे रोकने के लिए संगठित एवं समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की आवश्यकता है। यह पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है।
भारत में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने उपरोक्त बातें कहीं। वे साइबर जगत में बच्चों के यौन शोषण व उत्पीड़न की रोकथाम के लिए दुनिया के सबसे बड़े व बहुआयामी अभियान ‘वीप्रोटेक्ट’ के अबू धाबी में वैश्विक सम्मेलन ‘वीप्रोटेक्ट ग्लोबल समिट 2024’ को संबोधित कर रहे थे।
Online Sexual Harassment Of Children
बच्चों के बलात्कार के वीडियो की मांग को बढ़ावा देना
उन्होंने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति मोबाइल पर बच्चों की अश्लील सामग्री देख रहा होता है, तो वह वास्तव में बच्चों के बलात्कार के वीडियो की मांग को बढ़ावा दे रहा होता है। इसलिए इसकी तुरंत रोकथाम की जरूरत है।
‘वीप्रोटेक्ट’ ग्लोबल एलायंस के इस वैश्विक सम्मेलन में संयुक्त अरब अमीरात का गृह मंत्रालय भी सह मेजबान था और इसका विषय था, ‘फोकस ऑन फ्यूचर’ यानी भविष्य पर ध्यान। इस सम्मेलन में डिजिटल युग में ऑनलाइन दुनिया में बच्चों की सुरक्षा के उपायों की रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र में काम कर रहे दुनिया भर के 600 से भी अधिक संगठनों व हित धारकों ने हिस्सा लिया।
Stop Online Sexual Harassment
भारत के प्रयासों से सीखे जा सकते हैं सबक
इस सम्मेलन में ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस की मौजूदगी बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण की रोकथाम की दिशा में भारत के बढ़ते कद को दर्शाती है। यह इस बात का सबूत है कि बच्चों के ऑनलाइन यौन उत्पीड़न की दिशा में भारत में किए जा रहे प्रयास एक नजीर के तौर पर हैं, जिनसे सबक सीखे जा सकते हैं। इसमें मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस की याचिका पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर हाल ही में आया सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी शामिल है।
इस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि मोबाइल में बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्रियां डाउनलोड करना और उन्हें रखना अपराध है। देश के 416 जिलों में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस के सहयोगी संगठनों ने भारत में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कानूनों का पूरा परिदृश्य बदल देने वाले कई दूरगामी असर वाले अदालती फैसलों में केंद्रीय भूमिका निभाई है। एलायंस नेपाल, केन्या और अमेरिका में भी काम कर रहा है।
Online Sexual Harassment Elimination Act
कई जनहित याचिकाएं दायर कर चुके हैं भुवन ऋभु
इस सम्मेलन में संयुक्त अरब अमीरात के गृह मंत्रालय के आंतरिक मामलों के ब्यूरो के महानिदेशक लेंफ्टिनेंट कर्नल दाना हुमैद अलमरजूकी, भविष्यवादी और तकनीक की पैरोकार नीना जेन पटेल, माइक्रोसाफ्ट की उपाध्यक्ष और चीफ डिजिटल सेफ्टी ऑफिसर कोर्टनी ग्रिगोयर, गूगल में बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी नीतियों के मुख्य नीतिकार जॉन बकले और ओपेनएआई में चाइल्ड सेफ्टी टीपीएम (थर्ड पार्टी मानिटरिंग) की प्रभारी चेलसी कार्लसन भी मौजूद थीं।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के प्रमुख के तौर पर इस वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले भुवन ऋभु देश के अग्रणी वकीलों में शुमार हैं, जिनके कानूनी हस्तक्षेपों के नतीजे में नीतियों और कानूनों में परिवर्तनकारी बदलाव आए हैं। पिछले दो दशकों में उन्होंने 60 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की हैं और बच्चों के संरक्षण को सामाजिक न्याय की दृष्टि से देखते हुए इस प्रक्रिया में उन्होंने बाल संरक्षण प्रतिक्रिया तंत्र के आपराधिक न्याय प्रणाली में रूपांतरण में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है।
Online Sexual Harassment In India
राष्ट्रों की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता यह अपराध
सम्मेलन के दूसरे दिन बच्चों के अधिकारों की बात रखते हुए भुवन ऋभु ने कहा कि बच्चों का ऑनलाइन यौन शोषण एक ऐसा अपराध है, जो राष्ट्रों की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। इसीलिए इसकी जवाबी प्रतिक्रिया को भी सीमाओं के दायरे से परे होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे पास घोषित यौन अपराधियों का एक अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस और एक ऐसी प्रतिक्रिया प्रणाली होनी चाहिए, जो सभी देशों पर लागू हो और जहां आंकड़े व सूचनाएं सभी के साथ साझा किए जाएं। ये अपराधी अपने तरीकों और इरादों में पूरी तरह एकजुट हैं और जब संगठित अपराधी संगठित तरीके से अपराध को अंजाम दे रहे हैं, तो हमारा जवाब बिखरा हुआ और छिटपुट नहीं हो सकता।
Online Sexual Harassment In US
बच्चों से बलात्कार को न लें हल्के में
भुवन ऋभु ने कहा कि बच्चों से बलात्कार को हल्के में लेने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए और इसकी जगह जवाबदेही की संस्कृति लाने की जरूरत है। आज हममें से हरेक व्यक्ति अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भयभीत है। यदि कोई बच्चा भयभीत है, तो हमें कुछ और कदम उठाने की जरूरत है। समाज हमारा उसी आधार पर आकलन करेगा, जो आज हम कर रहे हैं। दुनिया को एकजुट होकर इस अपराध का मुकाबला करना होगा और जीतना होगा।
उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर साल 30 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे ऑनलाइन यौन शोषण और उत्पीड़न के शिकार होते हैं। भारत में 90 करोड़ से भी ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और देश आज बाल यौन शोषण एवं दुर्व्यवहार सामग्री का न सिर्फ एक बड़ा उपभोक्ता बल्कि निर्माता भी है। इसे रोकने के लिए संगठित और ठोस कदम उठाने होंगे।
-विशेष खबर ब्यूरो
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